गुप्तेश्वर मंदिर - ओडिशा

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🛕 गुप्तेश्वर मंदिर 🛕




गुप्तेश्वर मंदिर शबरी (कोलाब) नदी के किनारे बना हुआ है | यह मंदिर ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है तथा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जो कि एक गुफा में स्थापित है । यह एक विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो कि ओडिशा राज्य में जयपुर और कोरापुट जिले से लगभग 55 किमी दूर स्थित है।

गुफा के अन्दर चूना पत्थर भी प्राय: देखने को मिलते हैं | इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। मुख्य आकर्षण विशाल शिव लिंग है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह आकार में बढ़ रहा है। श्रावण काल / शिवरात्रि पर्व के दौरान देश भर से तीर्थयात्री यहां आते हैं | इस दौरान वार्षिक बोल-बोम यात्रा आयोजित किया जाता है। बोलबोम यात्रा के दौरान भक्त महाकुंड में स्नान करने के लिए गुप्तेश्वर जाते हैं, और फिर शिव लिंग के पास जाप करते हैं।



इस दौरान यहां लंबी कतार लगती है। शिवरात्रि में मेला एक सप्ताह तक लगता है। ओडिशा, छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र तथा अन्य राज्यों से भी यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। इस जगह का एक और आकर्षण शबरी नदी है। बहने वाली नदी की संगीत आवाज हमेशा सुनने के लिए सुखद होती है। पानी इतना ठंडा है कि यह कई पर्यटकों को यहां स्नान करना पसंद करते है। शिवरात्रि में असाध्य रोगों से पीड़ित लोग यहाँ भगवान की पूजा करने आते हैं और ठीक होने की आशा में महीनों तक यहाँ रहते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित यह स्थल प्रसिद्ध पिकनिक स्थानों में से एक है। सर्दियों के दौरान यहां कई पिकनिक प्रेमी आते हैं।

🛕 गुप्तेश्वर गुफा 🛕

गुप्तेश्वर मंदिर गुफा का आकार ओडिशा राज्य और आंध्र राज्य के सीमा में स्थित बोर्रा गुफा (Borra Caves ) की तरह है। लेकिन यह गुप्तेश्वर गुफा भूमिगत जल के लिए खास है जो कि देखने लायक है। यह मुख्यतः स्टैलेग्माइट्स वाली एक प्राकृतिक गुफा है। गुफा में 2 मीटर ऊंचा शिवलिंग खड़ा है। मंदिर को "गुप्तेश्वर" कहा जाता है जिसका अर्थ है "छिपे हुए भगवान"। चंपक के पेड़ों की कतारों से घिरी 200 सीढ़ियां चढ़कर कोई भी इस तक पहुंच सकता है। गुफा का प्रवेश द्वार लगभग 3 मीटर चौड़ा और 2 मीटर ऊंचा है। पास में और भी कई गुफाएं हैं। दूसरी गुफा के अंदर एक बड़ा स्टैलेक्टाइट है। लोग इसे भगवान कामधेनु (दैवीय गाय) के थन के रूप में पूजते हैं और पानी की बूंदों को इकट्ठा करने के लिए इसके नीचे हथेलियों को फैलाकर प्रतीक्षा करते हैं जो लंबे अंतराल पर गिरती हैं।


🌉 बांस की चटाई से बना पुल 🌉


शबरी नदी की विशाल चट्टानों पर बांस की चटाई से बना पुल पार करना पड़ता है. नदी की चट्टानें कटीली और धारदार हैं. ऐसे में बिना जूते और चप्पल के नदी के उस पार नहीं जा सकते. शबरी नदी और पहाड़ी पर करीब एक से डेढ़ किमी की दूरी पैदल चलने पर गुप्तेश्वर की पहाड़ी का आकर्षक दृश्य नजर आता है. इसके बाद गुप्तेश्वर करीब 150 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर महादेव के मंदिर पहुंच सकते हैं.

💢 प्राचीन किवदंतियां 💢


वैसे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को लेकर कई किवदंतियां है। चलिए कुछ किवदंतियां को जानते हैं :-

1. मान्यता है कि भगवान शिवजी ने भस्मासुर से बचने के लिए ब्राहम्ण के रूप में इस गुफा में शरण लिए थे। थी। शिवजी के पगचिन्ह भी गुफा में है। इस शिवालय में भगवान भोलेनाथ को चावल का प्रसाद चढ़ता है।

2. दर्शन करने के बाद गरीब ब्राह्मणों को चावल का दान करने की प्रथा भी चलती आ रही है

3. पौराणिक कथाओं के अनुसार, लिंगम की खोज सबसे पहले भगवान राम ने तब की थी जब वे पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ तत्कालीन दंडकारण्य वन में घूम रहे थे, और बाद में इसे "गुप्तेश्वर" कहकर इसकी पूजा की। कालांतर में इन्होने मंदिर को छोड़ दिया ।

4. आसपास के क्षेत्र में लोकप्रिय रूप से "गुप्त केदार" के रूप में जाना जाता है, यह पवित्र स्थान, प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न एवं मानव रचित महाकाव्य रामायण के श्री राम से जुड़ा हुआ है। इसीलिए पास की पहाड़ी का नाम "रामगिरि" रखा गया है।

5. मंदिर के मुख्य पुजारी सदाशिव मिश्रा के अनुसार सन 1665 में भगवान भोलेनाथ लोक लोचन (दुनिया देखने) के लिए आए थे। इस दौरान एक शिकारी ने उन्हें यहां देख लिया। तब से यह मंदिर प्रसिद्ध है। तब से कोरापुट क्षेत्र की जनजातियों द्वारा शिवलिंग की पूजा की जाती रही है।

6. कवि कालिदास ने भी अपने प्रसिद्ध मेघदूतम में रामगिरि वन के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है जहां गुफा मंदिर का उल्लेख किया गया है। इस प्राकृतिक शिवालय की वास्तुकारी भी बेजोड़ है जिसे भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाए जाने की मान्यता है।

👇 कैसे पहुंचे - How To Reach 👇 

1. CHHATTISGARH STATE –  JAGDALPUR TO GUPTESHWAR

दुरी           : 75 किमी.
माध्यम      : बाइक, कार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किमी दूर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से करीब 75 किमी की दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर का सफर बेहद ही रोमांच से भरा हुआ है। जगदलपुर-विशाखापटनम हाइवे पर 22 किमी दूर धनपुंजी गांव के पास यहां जाने के लिए कच्ची सड़क गुजरती है। इस मार्ग पर करीब 35 किमी दूर वनग्राम तिरिया पहुंचने के बाद रोमांचक सफर शुरू हो जाता है। यहां वन विभाग का नाका व विश्राम भवन है। जहां पंजीयन के बाद ही श्रद्धालु आगे बढ़ सकते हैं। सर्पिली धूल भरी जंगल की सड़क, रास्ते के दोनों ओर साल-सागौन के ऐसे घने जंगल की सूर्य की रोशनी भी छन के नहीं आती, वीरान 17 किमी के एडवेंचर फॉरेस्ट के सफर के बाद आती है चट्टानों पर चिंघाड़ती-दहाड़ती शबरी नदी आती है। यहां तक ही चार पहियों वाहनों से पहुंचा जा सकता है। यहां विशाल चट्टानों पर बांस की बनी चटाई पर गुजरते हुए लंबी कतार में बोल बम के नारे लगाते हुए नदी पार करना रोमांच से कम नहीं है।

नदी के उस पार ओडिशा और पहाड़ी श्रृंखला की हरियाली मन मोह लेती है। यहां पहाड़ी पर दो किमी की दूरी पैदल चलने पर गुप्तेश्वर की पहाड़ी का विहंगम द्श्य सामने आता है। 170 सीढियां चढ़कर मंदिर पहुंचा जा सकता है जहां पहाड़ी के अंदर गुफा में भारत के विशालकाय शिवलिंगों में से एक बाबा गुप्तेश्वर अवस्थित हैं। इस मार्ग पर शिवरात्रि और गर्मी के मौसम में ही जा सकते हैं।

2. ODISHA STATE – KOTAPAD TO GUPTESHWAR

दुरी          : 61 किमी.
माध्यम      : बाइक, कार

कोटपाड़ (ओडिशा) से गुप्तेश्वर पहुँचने के लिए आपको कोटपाड़ से कोटपाड़ – बागडेरी – रामगिरी मार्ग लेनी है | कोटपाड़ से आते समय आपको गुमरगम – रानीगुडा – बागडेरी – पेंडापोड़ा मार्ग मिलेगा फिर आप रामगिरि पहुँच जायेंगे | रामगिरी पहुँचने से आपको दायिने ओर पर मुड़ना है फिर आपको गुप्तेश्वर का मार्ग मिलेगा | रामगिरि में जयपुर से आने वाला मार्ग भी मिल जाता है | रामगिरी से सीधे आप गुप्तेश्वर मंदिर पहुँच जायेंगे |

गूगल मैप लिंक :-


3. ODISHA STATE – JEYPUR TO GUPTESHWAR

दुरी           : 55 किमी.
माध्यम      : बाइक, कार

कोरापुट से गुप्तेश्वर की यात्रा काफी सुखद है। सड़क के दोनों तरफ बड़े पेड़ वाले जंगलों से भरे हुए हैं। कोई भी रास्ते में बंदरों का अनुभव कर सकता है, लेकिन विश्वास है कि वे यात्रियों के किसी भी नुकसान या हमले नहीं करते हैं। पहाड़ियों की यू-टर्न सड़कों पर यात्रा हमेशा किसी के लिए एक विशेष अनुभव है। धुंधला सर्दियों में यात्रा और भी दिलचस्प है। दो पहाड़ों / पहाड़ियों के बीच सूर्य की उगता देखना सबसे अच्छा दृश्य है।

जयपुर (ओडिशा) से गुप्तेश्वर पहुँचने के लिए आपको जयपुर से दिगपुर – बोईपारीगुडा मार्ग लेनी है जयपुर से निकलने के बाद आपको सती नदी ब्रिज और बलिया ब्रिज से होकर गुजरना पड़ेगा | सीधे चलने के बाद आप बोईपारीगुडा पहुँच जायेंगे | बोईपारीगुडा के मुख्य चौक से आपको दाहिने मुड़ जाना है जो की आपको सीधे गुप्तेश्वर मंदिर पहुंचा देगा |

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Disclaimer:- Pictures are taken from the internet. The content owner is not the original photographer of these pictures.

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